यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) की ओर से देशभर के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र लिखा गया है कि एनईपी-2020 की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए अपने यहां चलाए जा रहे सभी शैक्षणिक कार्यक्रमों के पाठ्यक्रमों में तत्काल प्रभाव से बदलाव के कदम उठाएं। स्कूली लेवल पर पाठ्यक्रम में बदलाव पहले ही तेजी से चल रहा है।
तेजी से बदल रही दुनिया और 21वीं सदी को जरूरतों को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने अब विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से भी अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों के पाठ्यक्रमों में बदलाव करने को कहा है। साथ ही कहा है कि इस बदलाव में विषयवस्तु के बोझ को कम किया जाए। उसकी जगह पाठ्यक्रम में जरूरी जीवन कौशल, अनुभव और करके सीखने को शामिल किया जाए।
यूजीसी ने यह पहल ऐसे समय की है, जब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूली स्तर पर पाठ्यक्रमों में बदलाव का काम तेजी से चल रहा है। हाल ही में एनईपी के तहत आ रही स्कूलों की नई पाठ्यपुस्तकों में विषयवस्तु को कम किया गया है। इसकी जगह जीवन कौशल व सीखने आदि की कला को महत्व दिया गया है।
आयोग ने देशभर के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कॉलेजों के प्राचार्यों को लिखे पत्र में कहा है कि एनईपी-2020 की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए अपने यहां चलाए जा रहे सभी शैक्षणिक कार्यक्रमों के पाठ्यक्रमों में तत्काल प्रभाव से बदलाव के कदम उठाएं। इसके तहत जो क्रेडिट फ्रेमवर्क और योग्यता फ्रेमवर्क तैयार करें, उनमें इस बात का ध्यान रखें कि उसमें अप्रेंटिसशिप, इंटर्नशिप और कौशल विकास को प्रमुखता से जगह दी जाए।
यूजीसी के सचिव मनीष आर. जोशी ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को लिखे इस पत्र में कहा कि दुनिया में जिस तरह से हर क्षण नई तकनीक और नवाचार सामने आ रहे हैं, उसमें हमें भी खुद को लगातार अपग्रेड करते रहना होगा। खासकर देश की मौजूदा और आने वाली चुनौतियों को लेकर नई पीढ़ी को तैयार करना होगा। जोशी ने कहा कि सभी उच्च शिक्षण संस्थान पाठ्यक्रमों में बदलाव की पहल अपने एजेंडे में प्रमुखता से शामिल करें। गौरतलब है कि एनईपी के तहत मौजूदा समय में स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा में बड़े सुधार किए जा रहे हैं। पाठ्यक्रम में बदलाव भी इसी सुधार का एक हिस्सा है। मौजूदा समय में देश में 4.46 करोड़ से अधिक छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।