अमेरिका के साथ अच्छे संबंध की आस
मार्क कार्नी ने अमेरिका की तरफ से मिल रही टैरिफ की धमकियों पर कहा कि टैरिफ का सामना करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। उन्होंने ट्रंप से शासन को कनाडा की जनरेशन के लिए सबसे बड़ा चैलेंज बताया है। कार्नी ने कनाडाई वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ को अनुचित बताया है।
ट्रंप के आने के बाद से बिगड़े रिश्ते
- जनवरी में ट्रम्प के सत्ता में वापस आने के बाद से कनाडा सीमा-पार संबंधों के बिगड़ने से परेशान है। अंमेरिका ने एक तरह का ट्रेड वॉर शुरू कर दिया है और ट्रंप बार-बार कनाडा से अपनी स्वतंत्रता त्यागकर 51वां अमेरिकी राज्य बनने को कह रहे हैं।
- एक तरफ कनाडा ने ट्रम्प के टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की है, तो वहीं कनाडाई जनता ट्रंप की धमकियों से काफी नाराज है। कार्नी अगले सप्ताह पेरिस और लंदन जाएंगे, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंधों में आई गिरावट के बीच विदेशों में कनाडा के गठबंधन को मजबूत करने के प्रयास का हिस्सा है। इस दौरान व्यापार और सुरक्षा पर चर्चा होगी।
कनाडा में होने वाले हैं चुनाव
जस्टिन ट्रूडो द्वारा इस्तीफे की पेशकश के बाद लिबरल पार्टी ने मार्क कार्नी को अपना नेता चुना था। मार्क कार्नी इकोनॉमी के तो काफी पक्के खिलाड़ी हैं, लेकिन राजनीति में अभी वह नौसिखिया हैं। उन्होंने कभी भी कोई सार्वजनिक पद पर कार्य नहीं किया है।
कनाडा में कुछ ही समय बाद चुनाव होने वाले हैं। 2008-2009 के वित्तीय संकट के दौरान बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर के रूप में कार्य करने से पहले कार्नी गोल्डमैन सैक्स में निवेश बैंकर थे और उन्होंने ब्रेक्सिट वोट में उथल-पुथल के दौरान बैंक ऑफ इंग्लैंड का नेतृत्व भी किया था।