national

कोर्ट का आदेश, घोटाले में लिप्त अधिकारियों और बिल्डरों पर सीबीआइ दर्ज करे केस

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट के नौ हजार करोड़ को घोटाले में मुकदमा दर्ज कर सीबीआई को जांच करने का निर्देश दिया है। इस घोटाले में नोएडा प्राधिकरण, बिल्डर समेत अन्य भी शामिल हो सकते हैं। मिलीभगत सामने आती है तो जांच एजेंसी बिना देरी के कार्रवाई करे। कोर्ट ने कामनवेल्थ गेम के लिए शुरू किए गए स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट को पूरा करने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने मेसर्स थ्रीसी ग्रीन डेवलपर व आठ अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। 

पांच सेक्टरों में बिल्डरों को नोएडा प्राधिकरण ने स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट के लिए भूखंड का आवंटन किया था। कोर्ट ने साफ कहा कि इस घोटाले में नोएडा प्राधिकरण अधिकारी, आवंटी बिल्डर्स या अन्य कोई शामिल है तो सीबीआइ मामले में शिकायत दर्ज कर सीधे कार्रवाई करे। 16 अगस्त 2004 को प्राधिकरण ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्पोर्ट्स सुविधाएं उपलब्ध कराने का फैसला लिया। 311.60 हेक्टेयर जमीन लेने की योजना बनी। कामनवेल्थ के कारण एरिया बढ़ाकर 346 हेक्टेयर किया गया, लेक‍िन सितंबर 2010 में 150 हेक्टेयर में प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला लिया गया। 

नौ साल तक नहीं की कोई कार्रवाई

गोल्फ कोर्स और क्रिकेट स्टेडियम समेत कुल चार प्रोजेक्ट दिया गया लेकिन बिल्डरों ने कोई विकास कार्य नहीं किया। किस्तें नोएडा अथॉरिटी को जमा नहीं की गई। राज्य सरकार व प्राधिकरण को घोटाले की जानकारी के बावजूद नौ साल तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर तक दर्ज नहीं की गई। नोएडा, सरकार व खरीदारों को भारी नुकसान हुआ। 2011 से 2020 तक मिलीभगत से घपला किया जाता रहा। जब सीएजी रिपोर्ट में स्पोर्ट्स सिटी घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो सरकार हरकत में आई। 

नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर-78, 79, 101, 150, 152 में चार बिल्डरों को भूखंड आवंटित किए गए थे, जिनका क्षेत्रफल करीब 32 लाख 30 हजार 500 वर्ग मीटर है। जमीन आवंटन के समय नोएडा प्राधिकरण ने शर्त यह रही थी कि 70 प्रतिशत जमीन पर खेल सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसके अलावा 28 प्रतिशत जमीन आवासीय और दो प्रतिशत व्यावसायिक उपयोग में लाई जा सकेगी। शुरुआत में चार भूखंड जिन चार बिल्डर ग्रुप को आवंटित हुए थे। इनमें थ्रीसी, लाजिक्स, जनाडू और एटीएस को यह भूखंड का आवंटन हुआ। इन्होंने सब डिवीजन कर इनको अलग-अलग बिल्डरों को 84 टुकड़ों में बेच दिया। इसमें 74 सब-डिवीजन को प्राधिकरण ने मंजूरी दी है।

 

प्राधिकरण ने 46 ग्रुप हाउसिंग के नक्शे भी पास किए। बिल्डरों ने समय पर बकाया नहीं जमा किया। प्राधिकरण का इस सभी पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। इस मामले में हाई कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *