उत्तराखण्ड के जिला देहरादून में वाहनों में काली या अन्य प्रकार की फिल्म का प्रयोग करना, यह स्थिति राज्य के अन्य जिलों में भी हो सकती है
इस संवाददाता द्वारा मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि “देहरादून में वाहनों में काली या अन्य प्रकार की फिल्म का प्रयोग किया जा रहा है साथ ही विंडस्क्रीन एवम बैक ग्लास, पर भी ऐसी फिल्म का प्रयोग किया जा रहा जिससे यह पता नहीं चल पाता कि कौन वाहन में बैठा है और कौन वाहन ड्राइव कर रहा है”।
“यह स्थिति अपराधियों के लिए बहुत महफूज है क्योंकि फिल्म के कारण बाहर वाला चाहे वो पुलिस हो या अन्य कोई भी वह वाहन के अंदर बैठे व्यक्तियों को देख नही सकता तथा वाहनों पर फिल्म लगाना परिवहन नियमों के भी विरुद्ध है”।
“पुलिस एवम परिवहन विभाग द्वारा कभी कभार ही इन फिल्म लगी गाड़ियों के विरुद्ध अभियान चलाया जाता है और सड़कों पर फिल्म लगे संचालित हो रहे वाहनों की अनदेखी की जा रही है”।
अत: माननीय महोदय जी से निवेदन हैं कि संबंधित विभागों पुलिस एवम परिवहन विभाग से जनहित में रिपोर्ट तलब कर तत्काल कार्यवाही करने की कृपा करें।
मानवाधिकार आयोग के सदस्य (आईपीएस) राम सिंह मीना द्वारा जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आईजी ट्रैफिक,यातायात निदेशक, उत्तराखण्ड को निर्देशित करते हुए आदेश जारी किए गए।
आदेश-
शिकायतकर्ता भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी द्वारा देहरादून में वाहनों में काली व अन्य प्रकार की फिल्म का प्रयोग करने तथा जनहित में सम्बन्धित विभागों तथा पुलिस और परिवहन विभाग से रिपोर्ट तलब कर कार्यवाही किए जाने के सम्बन्ध में शिकायती पत्र प्रेषित किया गया है।
न्यायहित में शिकायती पत्र की प्रति यातायात निदेशक, उत्तराखण्ड देहरादून को प्रेषित कर दी जाये कि वह इस सम्बन्ध में विधिनुसार आवश्यक कार्यवाही करेंगे।
साथ ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2012 में देश भर में किसी भी वाहन के विंडस्क्रीन, सुरक्षा ग्लास या साइड ग्लास पर काली फिल्म के प्रयोग को गैरकानूनी घोषित कर दिया था।