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देहरादून: औद्योगिक क्षेत्र में केमिकल युक्त पानी को खुले में छोड़ने पर न्यायाधीश धर्मशक्तू ने किए सचिव प्रदूषण को नोटिस जारी

देहरादून: औद्योगिक क्षेत्र में केमिकल युक्त पानी को खुले में छोड़ने पर न्यायाधीश धर्मशक्तू ने किए सचिव प्रदूषण को नोटिस जारी

रुड़की के सुनहरा सलेमपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक फैक्टरी से केमिकल युक्त पानी को ट्रीटमेंट करने के बजाय खाली प्लॉट में छोड़ा जाना।

इस संवाददाता द्वारा एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर पढ़ने के बाद आमजनता से जुड़े अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण मामले में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि,

समाचार

रुड़की के क्षेत्र सुनहरा-सलेमपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक फैक्टरी को लेकर स्थानीय लोगों द्धारा शिकायत की गई थी कि फैक्टरी से केमिकल युक्त पानी को ट्रीटमेंट करने के बजाय खाली प्लॉट में छोड़ा जा रहा है। इस पानी के कारण वहां आसपास लगी फसल को भी नुकसान पहुंच रहा है। स्थानीय लोगों ने इस बात की शिकायत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से की थी। शिकायत पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसपी सिंह ने टीम के साथ मौके का निरीक्षण किया गया और शिकायत सही पाई गई।

यह कि केमिकल युक्त पानी खाली मैदान में छोड़े जाने की शिकायत पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फैक्टरी को नोटिस देने के साथ ही मामले की रिपोर्ट निदेशालय को भेजी है,इसमें फैक्टरी को बंद करने की संस्तुति की गई है।

शिकायत का विषय बहुत ही गंभीर है क्योंकि केमिकल युक्त पानी को बिना ट्रीटमेंट के खुले में छोड़े जाने के कारण यह पानी फसलों के साथ ही आमजन के लिए हानिकारक हो सकता है इसलिए जनहित में सम्बंधित विभाग से रिपोर्ट तलब कर कार्यवाही करने की कृपा करें।

मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायाधीश गिरधर सिंह धर्मशक्तू द्वारा जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए आदेश जारी किए गए।

आदेश

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शिकायतकर्ता भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी द्वारा समाचार पत्र में छपे समाचार “सलेमपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक फैक्टरी से केमिकल युक्त पानी को ट्रीटमेंट करने के बजाय खाली प्लाट में छोड़ा जा रहा है” के संबंध में शिकायती प्रार्थना पत्र प्रेषित किया गया है।

शिकायती प्रार्थना पत्र की प्रति सचिव, उत्तराखण्ड प्रदूषण नियत्रण बोर्ड को प्रेषित कर दी जाये कि वह नियत तिथि तक इस संबंध में अपनी आख्या आयोग के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।

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विदित हो कि आयोग के उपरोक्त आदेश की अपेक्षा अनुरूप कार्यवाही न किए जाने की स्थिति में आयोग द्वारा विचारों उपरांत यथोचित आदेश पारित कर दिए जाएंगे।