उत्तराखंड राज्य के तीन मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों की केंद्रीय लैब को कुछ अधिकारियों की सांठगांठ से एक कंपनी विशेष को लाभ पहुंचाने की मंशा से लैब सौंपने की तैयारी है जबकि अल्मोड़ा हल्द्वानी और श्रीनगर कॉलेज से संबंध अस्पतालों में करोड़ों रुपयों की मशीनें रखी गई है और विभागाध्यक्ष पीजी के साथ-साथप्रशिक्षित स्टाफ भी है।
उत्तराखंड राज्य के 3 मेडिकल कॉलेज से संबंधित अस्पतालों की केंद्रीय लैब को निजी हाथों में देने की तैयारी है, इसके लिए टेंडर जारी कर दिए हैं।
बीते दिनों शिक्षा चिकित्सा विभाग ने अल्मोड़ा हल्द्वानी व श्रीनगर मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की पैथोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री और माइक्रोबायोलॉजी लैब के लिए टेंडर जारी किए हैं, जबकि इन विभागों में पहले से ही करोड़ों रुपए की मशीनें रखी गई है साथ ही विभागाध्यक्ष, पीजी के साथ-साथ प्रशिक्षित स्टाफ भी है। इसके बावजूद अधिकारियों की सांठगांठ से लैब को निजी कंपनी को देने की तैयारी है, उसके बाद कंपनी अपनी सुविधा के अनुसार रिपोर्ट देगी उस पर ना तो अस्पताल प्रबंधन और ना ही कालेज प्रबंधन का कोई कंट्रोल होगा।
मेडिकल छात्र विभिन्न विभागों में पढ़ाई के साथ प्रैक्टिकल करते हैं। मरीजों के सैंपल जांच जिन लैब में होती है वह भी मेडिकल छात्रों के प्रैक्टिकल का हिस्सा होता है, इसलिए निजी हाथों में लैब सौंपने से मेडिकल के छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी साथ ही टेक्निशियन जॉब भी प्रभावित हो सकती है
इस राज्यहित जनहित के मामले में इस संवाददाता ने मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि शिकायत का विषय बहुत ही गंभीर है इसलिए जनहित,राज्यहित में समस्त मामले की रिपोर्ट तलब करने के साथ ही कार्यवाही करने की कृपा करें।
आदेश:-
आयोग द्वारा याचिका पर संज्ञान लेते हुए शिकायतकर्ता आदेश पारित किए गए कि ‘भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी ने उत्तराखण्ड राज्य के तीन मेडिकल काॅलेजों से संबध अस्पतालों के केन्द्रीय लैब को कुछ अधिकारियों की सांठगांठ से एक कंपनी विशेष को लाभ पहुंचाने की मंशा से लैब सौंपने, जबकि अल्मोड़ा, हल्द्वानी और श्रीनगर से संबंध अस्पतालों में करोडो रूपये की मशीन रखी होने, विभागाध्यक्ष पीजी के साथ-साथ प्रशिक्षित स्टाफ भी मौजूद होने तथा जनहित में तत्काल कार्यवाही कराने के सम्बन्ध में शिकायती पत्र प्रेषित किया गया है’।
‘शिकायत की प्रति न्यायहित में सचिव, चिकित्सा शिक्षा उत्तराखण्ड शासन, देहरादून को प्रेषित कर दी जाए कि वह इस सम्बन्ध में विधि अनुसार उचित कार्यवाही करेंगे’।