ब्रेकिंग

बिगब्रेकिंग:सरकारी अस्पताल के 40℅डॉक्टरों द्वारा बाहर की दवाईयां लिखने की अपनी छापामार टीमों की जाँच रिपोर्ट मिलने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं,आयोग ने डीजी हैल्थ को नोटिस जारी कर तलब की रिपोर्ट

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

देहरादून के 40 परसेंट सरकारी डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवा लिख रहे हैं यह खुलासा स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से कराई गई जांच में हुआ है परंतु कार्यवाही क्या हुई कुछ पता नहीं

समस्त मामला इस प्रकार हैं कि स्वास्थ्य महानिदेशक उत्तराखंड डॉ तृप्ति बहुगुणा ने सरकारी अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों की शिकायत कि डॉक्टर उनको बाहर की दवाएं लिख रहे हैं, इस पर डीजी हेल्थ ने 4 माह पूर्व चार छापामार टीमें गठित कर राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में भेजी इन टीमों ने अस्पतालों की ओपीडी में इलाज करा रहे मरीजों से पूछताछ करने के बाद उनके ओपीडी पर्चो की जांच की गयी तथा कई मरीजों के पर्चे कब्जे में लिए गए, जांच में यह पता लगा कि हर अस्पताल के 30% से 40%डॉक्टर मरीजों के पर्चो में बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं।

स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से जांच कराने और मरीजों को बाहर से दवा लिखने वाले डॉक्टरों के नाम सामने के आने के बावजूद भी डीजी हैल्थ ने दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है,इससे तो ऐसा लगता है कि की गई छापेमारी मात्र एक दिखावा हैं, ओर स्वास्थ्य महानिदेशालय स्पष्ट रूप से दोषी डॉक्टरों को बचाने की कोशिश कर रहा है।

मरीजों की शिकायत पर स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से देहरादून के गांधी अस्पताल,कोरोनेशन अस्पताल, रायपुर अस्पताल तथा प्रेमनगर अस्पताल की जांच कराई गई थी, तथा 2-2 अधिकारियों की जांच टीमों ने इन अस्पतालों में ओपीडी के समय छापेमारी की थी, सभी टीमों की रिपोर्ट के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

इस अत्यंत ही गम्भीर मामलें में इस संवाददाता ने मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि स्पष्ट रूप से प्रमाण मिलने के बाद भी स्वास्थ्य महानिदेशालय द्वारा दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है लगता है कि छापेमारी महज एक दिखावा था और पीड़ित मरीजों से किसी को कोई लेना देना नहीं है तथा यह कहा गया है कि 4 अस्पतालों में छापेमारी की गई जबकि देहरादून के सारे अस्पतालों में छापेमारी की जानी चाहिए थी जब चार अस्पतालों की स्थिति ऐसी है तो बाकी के पता नहीं क्या ही हाल होंगे। इसलिए जनहित न्यायहित में इस मामले में कड़ी कार्यवाही कर रिपोर्ट मँगवाने की कृपा करें तथा मामलें की जांच शासन स्तर से करने के आदेश करने की कृपा करें क्योंकि स्वास्थ्य महानिदेशालय के विरुद्ध ही शिकायत है, इसलिए वह आयोग में अपनी जो जांच रिपोर्ट भेजेगा उसमें लीपापोती की जा सकती है।

आयोग द्वारा मामलें की गंभीरता को देखते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक उत्तराखंड को नोटिस जारी कर सम्पूर्ण मामलें की रिपोर्ट चार सप्ताह में प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया हैं।

One Reply to “बिगब्रेकिंग:सरकारी अस्पताल के 40℅डॉक्टरों द्वारा बाहर की दवाईयां लिखने की अपनी छापामार टीमों की जाँच रिपोर्ट मिलने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं,आयोग ने डीजी हैल्थ को नोटिस जारी कर तलब की रिपोर्ट

  1. सबसे पहिले यह सुनिश्चित किया जाय कि दून चिकित्सालय में कोई भी दवा बहर्के न लिखी जाय या मगाई जाय. साथ ही सभी चिकित्सक केवल जेनेटिक दावा ही अपने पर्चे में लिखें चाहें अस्पतालों या निजी कोई भी हों।
    एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) द्वारा स्पष्ट आदेश कर दिए गए हैं की देश में एलोपैथिक चिकत्सक केवल जेनेटिक दावा ही लिखेंगे ताकि महंगी ब्रांडेड दवा की मार से आम आदमी बच सके।

Comments are closed.