भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
सम्पूर्ण वाक्या इस प्रकार है कि आज देहरादून के ऋषिकेश में पुलिसकर्मियों ने मास्क न पहनें होने के कारण एक बच्चे की बेहरहमी से पिटाई कर मार-मार कर उसे जमीन पर लिटा दिया और तब एक व्यक्ति द्वारा पुलिसकर्मियों को कहा गया कि बच्चे की तबियत ख़राब हो रखी हैं । इसने गलती से मास्क उतार दिया और आप उसको मारकर ठीक नही कर रहे है और आप लोग ये गलत काम कर रहे हो बच्चे से गलती से ऐसा हो गया इसलिए हाथ जोड़कर माफ़ी मांग रहा हूं।
पुलिस वाला ये सुनते ही बहुत ही ज्यादा बिफर गया शायद वर्दी का घमण्ड और दंबगई इसके बाद पुलिस वाले ने बचाने की कोशिश करने वाले से भी पिटाई ओर गालीगलौज शुरू कर दी ।
इस घटना का वीडियों वायरल होने के बाद डीआईजी/एसएसपी ने मामलें में संज्ञान लेते हुए कार्यवाही कर दोनों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया ओर साथ ही जांच के आदेश भी कर दिए ।
परंतु सवाल यह है कि क्या मास्क ना पहनने पर पुलिस कर्मियों द्वारा पिटाई का रास्ता अपनाना चाहिए था अगर मास्क नहीं पहना था तो उसका चालान करते और पुलिस कर्मियों ने पिटाई भी की तो एक बीमार बच्चे की और उस बीमार बच्चे को बचाने की जिस व्यक्ति ने पैरवी की उसकी भी पुलिसकर्मियों ने गाली गलौज करने के साथ पिटाई कर दी इन पुलिसवालों ने तों एक बीमार बच्चे और उसको बचाने वाले की पिटाई गालीगलौज कर अमानवता की मिसाल पैदा कर दी ।
इस संवाददाता द्वारा इस अत्यंत गंभीर मामले की शिकायत माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, माननीया महामहिम राज्यपाल जी उत्तराखंड, माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड और अन्य स्थानों पर इन पुलिसकर्मियों के विरुद्ध नियमानुसार कानूनी कार्यवाही हेतु शिकायत भेज दी है कि जिस प्रकार आम आदमी द्वारा किसी से मारपीट गाली-गलौज करने पर कानूनी कार्यवाही की जाती है वही कार्यवाही इन दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी होनी चाहिए और साथ ही क्योंकि सस्पेंड होने के बाद यह कर्मी अपने आकाओं की शरण में दौड़ेंगे और कुछ दिन बाद फिर बहाल हो जाएंगे ।