पथ भी यहां से होकर ही निकलेगा, जिस पर लगभग 4200 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैैं। यहां 1100 रुपये से गंगा पर पुल भी बनने जा रहा है। धाम में निषादराज पार्क बनकर लगभग तैयार हो गया है। भगवान राम और निषादराज की गले लगती प्रतिमा लग गई है। गंगा के घाटों का काम भी पूरा हो चुका है। वहां वन विभाग के शोध के आधार पर रामायणकालीन पौधे भी रोपे जा रहे हैं।
निषादराज ने भगवान को कराया था गंगा पार
वनवास जाने के दौरान भगवान राम रात्रि विश्राम निषादराज की नगरी में किए थे। अगले दिन भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को निषादराज ने गंगा पार कराया था। जिसकी गाथा का वर्णन निषादराज पार्क में लाइट एंड साउंड सिस्टम से किया जाएगा।
निषादराज की नगरी धार्मिक पर्यटन की बड़ी परियोजनाओं से निखर रही है। भगवान राम और निषादराज की मित्रता की मिसाल तपोस्थली श्रृंगवेरपुर को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने की तैयारी जोरों पर चल रही है।
निषादराज पार्क बढ़ाएगा पौराणिक महत्व के स्थल की छटा
श्रृंगवेरपुर में लगभग 165 करोड़ रुपये के कार्य हो रहे हैं। इनमें निषादराज पार्क प्रमुख है, जो लगभग 10 एकड़ में विकसित हो है। पार्क में हरियाली, कलात्मक रोशनी के बीच चलते फव्वारे के अलावा दीवारों पर रामायण से जुड़े प्रसंग का चित्रण का कार्य हो रहा है।
इसी पार्क में भगवान राम और निषादराज गुह की गले मिलते 51 फीट की कांस्य प्रतिमा भी स्थापित की गई है। यह प्रतिमा पूरी दुनिया को समरसता का संदेश देगी। ललित कला अकादमी, लखनऊ की ओर से यह प्रतिमा तैयार कराई गई है। धाम में प्रवेश करते ही भव्य द्वार तैयार हो गया है।
संध्या घाट, टूरिस्ट फेसिलिटेशन सेंटर व सीता कुंड विकसित
लगभग 29 करोड़ रुपये से संध्या घाट, टूरिस्ट फेसिलिटेशन सेंटर, पार्किंग, सीता कुंड का विकास हो चुका है। फेसिलिटेशन सेंटर के दोनों तल पर यात्रियों के ठहरने के लिए टायलेट के साथ दो बड़े हाल हैैं। संध्या घाट सीढ़ियों के साथ बनाया गया है। श्रृंगवेरपुर धाम में 20 करोड़ 34 लाख 80 हजार रुपये की लागत से निषादराज सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की जाएगी, जहां श्रृंगवेरपुर आने वाले पर्यटकों को विशेष सुविधाएं मिलेंगी।