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उत्तराखंड में अब दूर होगी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी, फार्मूला तैयार कर रही धामी सरकार

राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए प्रदेश सरकार फार्मूला तैयार कर रही है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों की कमी के लिए गैप स्टडी कर योजना बनाएगी। दूरदराज के क्षेत्रों स्वास्थ्य केंद्रों में समीपवर्ती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और अन्य चिकित्सालयों से रोटेशन के आधार पर डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाएगी।

इसके अलावा विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए सेवा आयु 65 वर्ष करने पर सरकार जल्द फैसला ले सकती है। प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी एक चुनौती बनी हुई है। प्रदेश में डॉक्टरों के पांच सौ से अधिक पद खाली हैं। सबसे ज्यादा गंभीर समस्या पहाड़ों में है। जहां डॉक्टरों के न होने के कारण मरीजों को इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है। अब इस समस्या के लिए प्रदेश सरकार फार्मूला तैयार कर रही है।

पर्वतीय क्षेत्रों में अति दुर्गम क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में निकटवर्ती अस्पतालों से डॉक्टरों की रोटेशन के आधार पर एक सप्ताह या 15 दिन के रोटेशन पर ड्यूटी लगाई जाएगी, जिससे दुर्गम क्षेत्रों के लोगों को डॉक्टरों की सेवाएं उपलब्ध होंगी। डॉक्टरों के ठहरने के लिए आवासों की व्यवस्था कराई जाएगी। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने भी सचिव स्वास्थ्य को डॉक्टरों की कमी पर गैप स्टडी कराकर योजना बनाने के निर्देश दिए हैं।

विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवा के लिए बढ़ेगी आयु सीमा

प्रदेश में सबसे ज्यादा कमी विशेषज्ञ डॉक्टरों की है। प्रदेश सरकार ने संविदा पर विशेषज्ञ डॉक्टरों को प्रति माह चार से छह लाख रुपये तक मानदेय देने को भी तैयार है। इसके बाद भी डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं। अब विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए सेवा के लिए आयु सीमा 65 साल करने जा रही है। जल्द ही सरकार इस पर फैसला ले सकती है।

प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में जहां डॉक्टर नहीं हैं, ऐसे क्षेत्रों में रोटेशन पर डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाएगी, जिससे लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो। वर्तमान में डॉक्टरों की आवश्यकता और कमी को लेकर गैप स्टडी कराकर योजना बनाने पर काम किया जा रहा है

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