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उत्तराखंड के जल-जंगल ओर जमीनों पर पहला अधिकार सिर्फ उत्तराखंड वासियों का होना चाहिए:अभिनव थापर

भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी 

रैणि गांव से 26, मॉर्च 1974 को ” चिपको आंदोलन” की शुरुआत हुई और सम्पूर्ण विश्व को पर्यावरण के महत्व समझाया। आज चिपको आंदोलन की 48 वीं वर्षगांठ पर “वनाधिकार आंदोलन” के प्रणेता पूर्व कांग्रेसाध्यक्ष किशोर उपाध्याय के नेतृत्व में प्रेस क्लब , देहरादून में आयोजित ” विमर्श कार्यक्रम” में प्रतिभागियों ने अपने विचार रखे।


किशोर उपाध्याय ने कहा कि वनाधिकार आंदोलन के जरिये उत्तराखंड वासियों के लिए ऐसी नीतियों का निर्धारण किया जाएगा जिससे राज्य के मूल-निवासियों को जंगल पर अधिकार, राज्यवासियों को केंद्र सरकार में आरक्षण, ग्रीन बोनस आदि पर प्रस्ताव रखे।


वनाधिकार आंदोलन के नेता अभिनव थापर ने कहा कि वनाधिकार आंदोलन सिर्फ़ एक आंदोलन या गोष्ठि नहीं किंतु एक ” संघर्ष ” है औऱ इसके लिये सब उत्तराखंड वासियों को एक होकर आगे बढ़ना पड़ेगा। उन्होंने कहा एक बात स्पष्ट रूप से रखी कि , हमारी नदियां, बाँध, जल और मछलियों को पहाड़ के युवाओं के लिये रोजगारपरक बनाना चाहिए। उन्होंने एक बात स्पष्ट रूप से रखी कि जल-जंगल-जमीन पर पहला अधिकार सिर्फ उत्तराखंडियों का हो ।
कार्यक्रम में जल-पुरुष मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता राजेन्द्र सिंह, जोत सिंह बिष्ट, प्रेम बहुखंडी, जयप्रकाश उत्तराखंडी, कामरेड समर भंडारी, दर्शन लाल, सुरेंद्र आर्या, राजेंद्र भंडारी, नेमचंद, मोहित ग्रोवर, परिणीता बडोनी, गरिमा दसौनी, विशाल मौर्या, सुरेंद्र रांगड़ आदि ने प्रतिभाग किया।