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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को दी जाने वाली फंडिंग पर प्रतिक्रिया दी

वॉशिंगटन।  एलन मस्क के नेतृत्व वाला सरकारी दक्षता विभाग लगातार यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट यानी यूएसएड से जुड़ी अहम जानकारी साझा कर रही है। कुछ दिनों पहले  DOGE ने जानकारी दी थी कि USAID द्वारा भारत समेत दुनियाभर के कई देशों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोक दी है। 

जानकारी सामने आई है कि भारत के चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने की खातिर अमेरिका फंडिंग कर रहा था। अब सवाल यह उठ रहा है कि अमेरिका यह धन किसे देता था? रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका 21 मिलियन डॉलर (1 अरब 82 करोड़ रुपए)  भारत को देता था। 

फंडिंग को लेकर जब राष्ट्रपति ट्रंप से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों देंगे?

भारत के पास बहुत पैसा, हम फंड क्यों दें: ट्रंप

फ्लोरिडा के मार-ए-लागो में एक संवाददाता सम्मेलन में ट्रंप ने कहा उनके (भारत) पास बहुत ज्यादा पैसा है। ऐसे में हम भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों देंगे? ये बात समझ से परे है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाले देशों में से एक है। हम मुश्किल से वहां पहुंच सकते हैं क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ऊंचे हैं। ट्रंप ने ये भी कहा कि वो भारत और प्रधानमंत्री का बहुत सम्मान करते हैं। जो कुछ दिन पहले ही अमेरिका से गए हैं।

USAID क्यों करता था फंडिंग?

DOGE ने कुछ दिनों पहले कहा था कि अमेरिका ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बनाए गए 21 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम में कटौती करने का फैसला किया है।  DOGE अमेरिकी सरकार के खर्चे में कटौती कर रहा है।  DOGE द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक, अमेरिका भारत को 21 मिलियन डॉलर इसलिए देता था ताकि देश के चुनावों में मतदाता की भागीदारी  बढ़े। 

USAID मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला: संजीव सान्याल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार संजीव सान्याल ने भारत को दी जाने वाली इस फंडिंग पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने यूएसएड को मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया है। सान्याल ने सवाल पूछा कि भारत में मतदान प्रतिशत सुधारने के लिए खर्च किए गए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर और बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल को मजबूत करने के लिए 29 मिलियन अमेरिकी डॉलर किसे मिले? 

उन्होंने कहा कि नेपाल में राजकोषीय संघवाद पर खर्च किए गए 29 मिलियन अमेरिकी डॉलर का तो जिक्र ही न करें। USAID द्वारा दुनिया के अलग-अलग देशों में मौजूद संस्थाओं को फंडिंग दी जाती थी, जिस पर कटौती की जा रही है।

फंडिंग को लेकर हो रही राजनीतिक बयानबाजी

फंडिंग को लेकर देश में राजनीतिक बहस भी छिड़ गई है। भाजपा ने सवाल उठाए हैं कि साल 2012 में चुनाव आयोग को फंडिंग क्यों की गई। कांग्रेस सरकार के दौरान फंड क्यों दी गई। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अमेरिकी फंडिंग को भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी दखल करार दिया। 

भाजपा नेता अमित मालवीय ने सवाल किया कि इस फंडिंग से किसे लाभ हुआ है? उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से सत्तारूढ़ दल को तो नहीं हुआ होगा। भाजपा के आरोपों पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा, क्या भाजपा ये कहना चाहती है कि फंडिंग की वजह से साल 2014 में भाजपा की केंद्र में सरकार बनी।

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