भाजपा ने रविवार को जिलाध्यक्षों की जो सूची जारी की उसमें सभी जातियों का समीकरण बिठाने की कोशिश की गई है। पार्टी ने अपने कोर वोटरों को भी मजबूती से थामा है। पार्टी ने 70 जिलाध्यक्षों में से 19 ब्राह्मण व 10 ठाकुरों को जिम्मेदारी दी है। इनके साथ ही चार वैश्य, तीन कायस्थ, दो भूमिहार व एक पंजाबी को जिलाध्यक्ष बनाया गया है।
पार्टी के रणनीतिकारों ने लंबे समय तक एक-एक जिले के सामाजिक और जातीय समीकरणों का अध्ययन कर जिस तरह से जिलाध्यक्षों के नामों का चयन किया है, उसे देखकर यह माना जा रहा है कि पार्टी इसी समीकरण के बल पर अगले वर्ष होने वाले पंचायत चुनावों से लेकर 2027 के विधानसभा चुनाव तक के राजनीतिक समीकरण को साधने की कोशिश करेगी।
अति पिछड़ा वर्ग में भी भाजपा ने कुर्मियों को पांच, पिछड़ा वैश्य को तीन, जाट, मौर्य व लोधी बिरादरी के दो-दो जिलाध्यक्ष की सीटें साैंपी हैं। यादव, बढ़ई, कश्यप, पाल, राजभर, सैनी, रस्तोगी, गुर्जर, भुर्जी, तेली व कुशवाहा बिरादरी के एक-एक जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं। भले ही इस सूची में पांच महिलाओं को ही स्थान मिल पाया है, लेकिन इसमें भी जातीय समीकरण का विशेष ख्याल रखा गया है। इनमें कुर्मी, पासी, क्षत्रिय, तेली व लोधी जाति की एक-एक महिलाएं शामिल की गई हैं। अनुसूचित जाति में भी जिन छह लोगों को भाजपा ने जिले की कमान सौंपी है उनमें तीन पासी के साथ ही धोबी, कठेरिया व कोरी बिरादरी के एक-एक शामिल हैं।
प्रदेश चुनाव अधिकारी डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय ने कहा कि भाजपा समाज के सभी वर्ग को एक साथ लेकर चलने वाली पार्टी है। भाजपा का पुराना और नया प्रत्येक कार्यकर्ता पार्टी के अनुशासन और पार्टी का प्रतिबद्ध सिपाही है। जिन जातियों को पहली सूची में स्थान नहीं मिल पाया है उन्हें शेष बचे 28 जिलाध्यक्षों के चयन में शामिल कर लिया जाएगा।