नई दिल्ली। मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड और देश का सबसे बड़ा दुश्मन आतंकी तहव्वुर राणा आज यानी बुधवार को भारत लाया जा सकता है। दिल्ली और मुंबई की जेलों को तैयार किया जा रहा है। यहां की जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया गया है।
बताया जा रहा है कि राणा को भारत में लाने के तुरंत बाद ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया जाएगा। कुछ हफ्ते एनआईए उससे हिरासत में पूछताछ करेगी। पाकिस्तानी मूल का तहव्वुर राणा लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य था। उसने 26/11 मुंबई हमले में अमेरिका आंतकी डेविड हेडली की मदद की थी।
राणा के पास कनाडा की नागरिकता
तहव्वुर राणा के पास कनाडा की नागरिकता है। उसने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर मुंबई हमले की साजिश रची थी। राणा ने दाऊद गिलानी उर्फ डेविड कोलमैन हेडली को भारत की यात्रा करने में मदद पहुंचाई थी।
राणा ने मुंबई हमले में मारे गए आतंकियों को मरणोपरांत सर्वोच्च सैन्य सम्मान देने की मांग पाकिस्तान से की थी। अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ उसने कई बार अमेरिकी अदालतों में गुहार लगाई। मगर सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के बाद भारत आने का रास्ता साफ हो गया।
ट्रंप ने किया था भारत भेजने का एलान
हमले से पहले मुंबई भी आ चुका राणा
अमेरिकी अदालतों में पेश दस्तावेजों के मुताबिक राणा और डेविड हेडली मुंबई हमलों की साजिश रचने वाले मुख्य शख्स थे। दोनों के आईएसआई अधिकारी मेजर इकबाल से घनिष्ठ संबंध थे। जांच में यह भी सामने आया कि तहव्वुर राणा ने दुबई से मुंबई की यात्रा की थी। पुलिस की जांच रिपोर्ट बताता है कि वह 11 से 21 नवंबर 2008 तक पवई स्थित रेनेसां होटल में ठहरा था। उसके जाने के पांच दिन बाद यानी 26 नवंबर को मुंबई आतंकी हमलों से दहल उठा था।
डिटेंशन सेंटर में बंद है राणा
अमेरिका ने साल 2009 में डेविड हेडली को गिरफ्तार किया था। हेडली की मां का संबंध पाकिस्तान से है। वहीं पिता अमेरिकी नागरिक हैं। इस कारण हेडली के पास अमेरिका की नागरिकता है। पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा अभी लॉस एंजिलिस के एक मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में है। 2011 में राणा को दोषी ठहराया गया था। उसे 13 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
मुंबई हमले में गई थी 166 की जान
26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया था। ये आतंकी नाव के सहारे देश की आर्थिक राजधानी पहुंचे थे। हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 166 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। सुरक्षाबलों ने 4 दिन बाद आतंकी कसाब को जिंदा पकड़ने में कामयाबी हासिल की थी।