गोरखपुर, गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों के उपचार की चिंता को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना बना लिया। अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश था कि इस तरह के आवेदनों को जल्द से जल्द शासन को भेजा जाए। पूरे साल मुख्यमंत्री का खजाना इन पीड़ितों के लिए खुला रहा। एक जनवरी से 26 दिसंबर 2022 के बीच 1938 लोगों को उपचार के लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 13 करोड़ रुपये मिले हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय तक जैसे ही किसी पीड़ित को सहायता देने के जरूरत की सूचना पहुंची, बिना समय गंवाए उसे आर्थिक मदद दी गई।
बड़ा संबल बन रहा मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष
गोरखपुर में चिकित्सा व्यवस्था सुदृढ़ होने के साथ ही कई ऐसे लोग सामने आते हैं, जिन्हें बड़े अस्पतालों में उपचार की जरूरत होती है और उसपर खर्च भी खूब आता है। ऐसे लोगों के लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष बड़ा संबल बन रहा है। गोरखपुर प्रवास के दौरान हर जनता दर्शन में कोई न कोई व्यक्ति इलाज में आर्थिक मदद की गुहार लगाने आता है। ऐसे लोगों को राहत भी मिलती है। अन्य माध्यमों से आने वाले आवेदनों पर भी विचार किया जाता है।
तेजी से पूरी होती है प्रक्रिया
अपर जिलाधिकारी प्रशासन पुरुषोत्तम दास गुप्ता ने बताया कि इस तरह के जो भी आवेदन आते हैं, बिना विलंब के उन्हें शासन को भेज दिया जाता है। ई डिस्ट्रिक्ट मैनेजर नीरज श्रीवास्तव बताते हैं कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप इलाज में सहायता से संबंधित आवेदनों को प्राथमिकता के आधार पर शीघ्रता से निस्तारित किया जाता है। आवेदनों के शीघ्रता से निस्तारण में ई डिस्ट्रिक्ट में कार्यरत अंकिता गुप्ता और राघवेंद्र प्रताप सिंह का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।
मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से बीते पांच सालों में (8 जनवरी 2018 से 26 दिसंबर 2022 तक) गोरखपुर के 3996 मरीजों को 58 करोड़ 94 लाख 90 हजार 792 रुपये की आर्थिक सहायता मिल चुकी है।
क्या कहते हैं लाभार्थी
तारामंडल रोड के बुद्ध विहार कालोनी की कुसुम दूबे का कहना है कि हार्ट अटैक के बाद मेदांता अस्पताल के डॉक्टरों ने जल्द से जल्द बाईपास सर्जरी कराने को कहा था। एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए भारी भरकम धनराशि की तत्काल व्यवस्था करना आसान नहीं था। मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मदद की गुहार लगाई गई। तीन दिन में अस्पताल के खाते में 3.77 लाख रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करा दी।
क्या कहते हैं अधिकारी
जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने बताया कि गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए जो भी आवेदन आते हैं, स्थानीय स्तर पर औपचारिकताओं को पूरा कर उन्हें जल्द से जल्द शासन को भेजा जाता है। हर जरूरतमंद की मदद की जाती है।