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श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में आयुष्मान योजना में उत्तराखण्ड का पहला किडनी प्रत्यारोपण माँ ने किडनी देकर बचाई बेटे की जान मिला नया जीवन

भूपेन्द्र लक्ष्मी

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में आयुष्मान योजना में उत्तराखण्ड का पहला किडनी प्रत्यारोपण
 मां ने किडनी देकर बचाई बेटे की जान, मिला नया जीवन
 श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल व आयुष्मान योजना के प्रति कृतज्ञता जताई

देहरादून:श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में आयुष्मानयोजना में उत्तराखण्ड राज्य का पहला सफल किडनी प्रत्यारोपण किया गया। अब तक श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में सफलतापूर्वक 15 मरीजों का किडनी प्रत्यारोपण हो चुका है।

काबिलेगौर है कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल उत्तराखण्ड राज्य में आष्युष्मान कार्ड धारकों को सर्वाधिक संख्या में सेवा प्रदान करने वाला सेवा प्रदाता अस्पताल है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में आयुष्यान योजना के अन्तर्गत किडनी प्रत्यारोपण सेवा मिलने से उत्तराखण्ड के किड़नी मरीजों को बहुत बड़ी राहत मिली है। मैट्रो शहरों में गुर्दा प्रत्यारोपण का कुल व्यय 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक आ जाता है।

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने सफलतापूर्व गुर्दा प्रत्यारोपण करने वाली टीम के सभी डॉक्टरों, नर्सिंग व अन्य स्टाफ सदस्यों को इस अभूतपूर्व सफलता पर बधाई दी है।

मरीज़ प्रशांत सिंह बिष्ट उम्र 36 वर्ष निवासी देहरादून को उनकी माता रीना देवी ने किडनी दी। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ आलोक कुमार, डॉ विवेक रुहेला, डॉ कमल शर्मा, डॉ विवेक विजन, डॉ विमल कुमार दीक्षित व एनेस्थेटिस्ट डॉ आशुतोष की टीम ने मरीज़ का सफलतापूर्वक किडनी प्रत्यारोपण किया। किडनी ट्रांस्प्लांट के बाद मरीज़ स्वस्थ है व पहले की तरह अपने दैनिक कार्य कर पा रहा है।

प्रशांत बिष्ट ने किडनी प्रत्यारोपण के बाद अपने अनुभव सांझा करते हुए श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के डॉक्टरों को आभार एवम् धन्यवाद दिया जिनकी वजह से उन्हें नया जीवन मिला है। उन्होंने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व आयुष्मान योजना के प्रति भी विशेष आभार व्यक्त किया।

किडनी प्रत्यारोपण एक बड़ा ऑपरेशन है। प्रत्यारोपण के बाद मरीज़ व उनके परिजनों को देखभाल पर विशेष ध्यान देना चाहिए। संक्रमण से बचाव, नियमित दवाई व नियमित डॉक्टरी परामर्श बेहद आवश्यक है। किडनी प्रत्यारोपण के बाद मरीज़ सामान्य जीवन जी सकता है बशर्ते वह मेडिकल गाइडलाइन का कड़ाई से पालन करे। मरीज़ की देखभाल में डॉक्टरों की राय व दवाईंयों के प्रभाव के साथ साथ परिवार वालों की सेवा व समर्पण भाव भी बेहद महत्वपूर्णं है।

डॉ आलोक कुमार

एम.डी., डी.एम. (नैफ्रोलॉजी), डी.एन.बी. नैफ्रोलॉजी)

वरिष्ठ गुर्दा रोग विशेषज्ञ
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल