गोरखपुर, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल पद पर शपथ लेने से दो दिन पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने बुधवार की सुबह भारतीय जनता पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने अपना त्यागपत्र क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह को सौंपा। बेतियाहाता स्थित आवास पर त्यागपत्र देते समय शिव प्रताप पार्टी से अपने 39 साल पुराने रिश्ते को याद करके भावुक हो गए। कहा कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि किसी भी वजह से उन्हें पार्टी से त्यागपत्र देना भी पड़ सकता है। वह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल पद पर 18 फरवरी को शपथ लेंगे। त्यागपत्र देते समय क्षेत्रीय महामंत्री और सहजनवां विधायक प्रदीप शुक्ल, जिलाध्यक्ष युधिष्ठिर सिंह सहित पार्टी के कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे।
17 फरवरी को शिमला पहुंचेंगे पूर्व केंद्रीय मंत्री
उधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल के हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण का कार्यक्रम तय हो गया है। वह शिवरात्रि के दिन 18 फरवरी को राज्यपाल पद की शपथ लेंगे। इसके लिए वह 17 फरवरी की शाम तक हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला पहुंच जाएंगे। वह संस्कृत में शपथ लेंगे। शिव प्रताप इससे पहले राज्यसभा के सदस्य की शपथ भी संस्कृत में ही ले चुके हैं।
संगठन पदाधिकारी से लेकर प्रदेश से केंद्र तक बनाया मंत्री
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति का ककहरा सीखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल की पहचान शुरू से ही पूर्वांचल में राजनीति के ब्राह्मण चेहरा के रूप में रही। इसी रूप में पार्टी ने उन्हें समय-समय पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी। कभी संगठन में पदाधिकारी बनाया गया, तो कभी प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार के मंत्रालय में जगह दी गई।
राज्यसभा की सदस्यता के समाप्त होने के छह महीने बाद हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल की जिम्मेदारी मिलने को भी राजनीतिक हल्के में इसी रूप से देखा जा रहा। लोग इसे लोकसभा चुनाव के नजरिये से भी देख रहे हैं और मान रहे हैं कि केंद्र सरकार ने शिव प्रताप के जरिये पूर्वांचल के ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की है।
ऐसा रहा राजनीतिक सफर
खजनी तहसील के रुद्रपुर गांव के रहने वाले 71 वर्षीय शिव प्रताप शुक्ल का राजनीतिक करियर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ। वह विद्यार्थी परिषद के प्रदेश संगठन मंत्री रहे। विद्यार्थी परिषद के बैनर पर उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति भी की। राजनीति में उनका दूसरा पड़ाव भारतीय जनता युवा मोर्चा में रहा। मोर्चा के प्रदेश मंत्री की जिम्मेदारी भी उन्होंने संभाली। गोरखपुर नगर से भाजपा के टिकट पर चार बार विधायक रहे शिव प्रताप को चार बार प्रदेश सरकार में मंत्री बनाया गया।
2002 में डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल से विधानसभा चुनाव हारने के बाद एक बारगी वह प्रत्यक्ष राजनीति से वह बाहर होते दिखे पर संगठन ने उनके राजनीतिक महत्व को समझते हुए 2009 में प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया। इस पद पर नौ साल रहकर उन्होंने संगठन के लिए पूरी निष्ठा से कार्य किया। 2019 के लोकसभा चुनाव आया तो एक पार्टी ने एक बार फिर ब्राह्मण चेहरे के रूप में उनको प्रत्यक्ष राजनीति में खींचा।
राज्यसभा का सदस्य बनाकर केंद्र सरकार में उन्हें केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री बना दिया गया और वह तब तक मंत्री बने रहे, जब तक चुनाव सम्पन्न नहीं हो गया। अब जब लोकसभा चुनाव एक फिर सामने है तो पार्टी ने उन्हें राज्यपाल जैसा महत्वपूर्ण पद दिया है। ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञ सरकार के इस निर्णय का राजनीतिक निहितार्थ निकालने लगे हैं।