कौशांबी जनपद के संदीपन घाट थानांतर्गत फरीदपुर निवासी शत्रुध्न सरोज राजमिस्त्री हैं। उनकी दो पुत्री व दो पुत्र में दूसरे नंबर की प्रीति पढ़ाई में काफी तेज थी, जिस कारण पिछले वर्ष उसका प्रवेश सरकारी कॉलेज में हुआ था। वह जीएनएम प्रथम वर्ष की छात्रा थी और एसआरएन चिकित्सालय स्थित नर्सिंग हॉस्टल में रहती थी।
प्रीति ने पिता को किया था फोन
दवा लगाने की कही थी बात
कोतवाली इंस्पेक्टर रोहित तिवारी फोर्स के साथ पहुंचे। हॉस्टल के अधिकारियों से बातचीत की। इसके बाद उसके साथ कमरे में रहने वाली छात्रा से बातचीत की। उसने बताया कि कमरे में पांच छात्राएं रहती थीं। तीन छात्राएं महाशिवरात्रि पर दर्शन करने के लिए मंदिर चली गईं थीं। वह कमरे में थीं। करीब दस बजे प्रीति ने उससे कहा कि स्नान करने से पहले उसे दवा लगानी है, इसलिए कुछ देर के लिए बाहर चली जाए। वह छत पर चली गई। करीब 15 मिनट बाद आई तो अंदर से दरवाजा बंद था। उसने दरवाजे पर दस्तक दी, लेकिन कोई आहट नहीं मिली।
रस्सी से लटक रहा था शव
पुलिस ने फोरेंसिक टीम को बुलाया और फिर किसी प्रकार दरवाजा खोलकर पुलिस भीतर दाखिल हुई। मेज पर सुसाइड नोट रखा था। पुलिस ने घरवालों से बातचीत की, लेकिन वह आत्महत्या की कोई वजह नहीं बता सके। बेटी को क्या बीमारी थी, इस बारे में भी वह स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं बता सके।
एसीपी कोतवाली मनोज सिंह का कहना है कि छात्रा को पहले एक कान से सुनाई नहीं पड़ता था। इधर उसके दूसरे कान से भी सुनाई पड़ना बेहद कम हो गया था। इससे वह परेशान रहती थी और संभवत: इसी वजह से उसने खुदकुशी की है। हालांकि, मामले की जांच की जा रही है। बरामद सुसाइड नोट प्रीति ने ही लिखा है या नहीं, विशेषज्ञों से इसकी जांच कराई जाएगी।
हमेशा कहती थी, गरीबी व हालातों से लड़ना सीखो
प्रीति की खुदकुशी की खबर पाकर उसके माता-पिता पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। पिता ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं। सबसे बड़ी पुत्री की शादी हो गई है। प्रीति दूसरे नंबर पर थी, जबकि इसके बाद पुत्र अंकित व आशीष हैं। प्रीति ने जब सुबह उनको फोन किया तो वह ठीक थी। बस इतना बोला कि मेडिकल प्रमाण पत्र लेकर आइए। इसके कुछ ही देर बाद उनको पता चला कि बेटी ने आत्महत्या कर ली है।
मां ने बताया कि बेटी से बहुत उम्मीद थी। वह पढ़ने में होनहार थी। सोचा था कि जीवन भर गरीबी का जो दंश झेला बुढ़ापे में सुख मिलेगा, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। बोली कि बेटी हमेशा कहती थी कि गरीबी व हालातों से लड़ना सीखो। कभी घबराओ नहीं, लेकिन वह ही हालातों से नहीं लड़ सकी।