सफल सर्जरी से मरीज को मिला नया हृदय और जीवन
देहरादून:विकासनगर, देहरादून निवासी 60 वर्षीय भोपाल सिंह पिछले कई महीनों से सीने के दर्द, सांस लेने में परेशानी, खॉंसी, दिल कीतेज धड़कन, सोते समय दम घुटना घबराहट आदि का अनुभव कर रहे थे। इस कारण वह बहुत परेशान थे। अपने दैनिक दिनचर्या के काम करना भी असंभव सा हो गया था । उन्होंने देहरादून व ऋषिकेश के कई सरकारी व निजी अस्पतालों में भर्ती रहकर उपचार करवाया, लेकिन उन्हें कोई आराम नहीं मिला। अंततश्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में उपचार उप्रान्त,अत्यन्त अनुभवि हृदय सर्जन डॉ. अशोक कुमार जयंत और टीम के सदस्यों द्वारा सफलतापूर्वक किए गए जटिल हृदय ऑपरेशन से उन्होंने बहुत आराम पाया ।
मरीज को हृदय रोग के यह प्रारंभिक लक्षण सर्वप्रथम 24 सितम्बर 2022 को शुरू हुए जब अचानक सीने में तेज दर्द, घबराहट व सांस लेने में परेशानी होने लगी। उनकी हालत बिगड़ती देख उनके परिजन उन्हें लेकर तुरन्त एक विकासनगर के स्थानीय अस्पताल पहुॅंचे। उस अस्पताल में हुई जॉंचों में ट्रोपाई टेस्ट पॉजीटिव आया जिस से पता चला कि उन्हें एक बड़ा दिल का दौरा पड़ा था। प्रयाप्त सुविधाओ के अभाव के कारण उन्हें उस अस्पताल से एक सरकारी अस्पताल रैफर कर दिया गयाऔर फिर वहां से उन्हें आगे देहरादून स्थित एक हृदय अस्पताल भेज दिया गया। यहां मरीज का ईकोकार्डियोग्राफी व कोरोनरी एंजियाग्राफी टेस्ट किए गए, जिनमें दिल को खून पहुॅंचाने वाली प्रमुख धमनीएल.ए.डी. में 100 प्रतिशत ब्लोकेज यानि रुकावट पायी गयी । तत्पस्चात, 24 सितम्बर 2022 को हाथोहाथ ही एलÛएÛडीÛ धमनी की एंजियोप्लास्टी की गई जिसमें कुल तीन स्टंट डाले गए। मरीज की स्तिथि में प्राराम्भिक सुधार हुआ और उन्हें तीन दिन पस्चात अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
लेकिन 29 सितम्बर 2022 को पुनः मरीज को पहले जैसा सीने में दर्द उठा और सांस लेने में कठिनाई होने लगी। हृदय गति भी बहुत तेज हो गई। उन्हें एक स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया जहॉं ट्रोपाई टेस्ट से पता चला कि मरीज को एक बार फिर दिल का दौरा पड़ा हैंे। उन्हें प्राथमिक चिकित्सा के बाद वहां स देहरादून के एक अन्यअस्पताल रेफर कर दिया गया। वहां मरीज की इकोकार्डियोग्राफी हुई जिसमें पता चला कि दिल के चारो तरफ खून का जमाव यानी की पैरीकार्डियल कलेक्शन हो गया। पुनः कोरोनरी एंजियोग्राफी जॉंच से पता चला कि जो तीन स्टंट उनके दिल मेंएल.ए.डी.धमनी में डाले गए थे वे पूरी तरह से बंद हो गए थे जिस से खून का संचार रुक गया था । पूर्वोक्त अस्पताल में भोपाल सिंह का दवाओं द्वारा उपचार किया गया और उन्हें 09 सितम्बर 2022 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। मगर एक हफ्ते बाद ही 18 अक्टूबर 2023 को मरीज को फिर सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई व तेज हृदय गति के लक्षण होने लगे। मरीज को फिर से देहरादून के उसी अस्पताल में ले जाया गया जहां एंजियोप्लास्टी हुई थी लेकिन इलाज में जटिलता देखते हुए उक्त अस्पताल ने मरीज को भर्ती करने से इन्कार कर दिया।
आखिरकार मरीज के परिजन उन्हें लेकर उपचार हेतु श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल पहुॅंचे। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉं0 साहिल महाजन ने ईकोकार्डियोग्राफी जॉंच में पाया कि मरिज के दिल का बायाँ कक्ष कमजोर और फूल कर ( वैन्ट्रीक्यूलरएनियुरिज्म ) गुब्बारे जैसे हो गया था जिसके अंदर बहुत सारा खून भी जम गया था। दिल की पम्पिंग क्षमताघट कर मात्र 23 प्रतिशत रह गई थी जोएक स्वस्थ व्यक्ति में 55-60 प्रतिशत तक होतीहै।मरीज को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में भर्तीे कर लिया गया और खून पतला करने वाली व अवरोध हटाने वाली दवाईयों पर रखा गया। 24 जनवरी 2023 को मरीज का कोरोनरी एंजियोग्राफी जॉंच करी गई । कोरोनरी एंजियोग्राफी से पता लगा कि एल.ए.डी. धमनी के स्टंटों में सम्पूर्ण अवरोध आ चुका था। इसके अलावा अन्य धमनियों में भी अवरोध फैलाने वाला संक्रमण प्रारंभहो चुका था। मरीज की हालत को स्थिर करने के लिए लगातार तीन हफ्ते तक दवाओं से इलाजचला लेकिन यह स्पष्ट था कि एकमात्र इलाज कार्डियक सर्जरी ही जरूरी थी।
इसीलिए उन्हें श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कार्डियो थोरेसिक वैस्क्युलर सर्जरी (सी0टी0वी0एस0) विभाग के वरिष्ठतम कार्डियो थोरेसिक वैस्क्युलर सर्जन डॉ0 अशोक कुमार जयंत इलाज हेतु रैफर कर दिया गया।04 फरवरी 2023 को डॉ0 अशोक कुमार जयंत व उनकी टीम ने मरीज भोपाल सिंह की बेहद जटिल कार्डियक सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न करी।
सर्जरी के दौरान डॉं0 अशोक कुमार जयंत ने पाया कि मरीज का हृदय संक्रमण के कारण आकार में सामान्य से चार गुना बड़ा हो चुका था।
ऑपरेशन के द्वारा हृदय के मुख्य खून पम्प करने वाले बाएं वैन्ट्रीकल को खोलकर उसमें बने लगभग 500 ग्राम खून के थक्के को निकाला गया। दिल का मित्रल वाल्व भी बीमारी के चापेट में आ गया था जिसे ठीक किया गया।उसके उपरांत आकार में काफी बढ़ चुके बाएँ वैन्ट्रीकल की खराब हो चुकी दीवार को काटकर निकाला गया और बाएं वैन्ट्रीकल को विशिष्ट डैक्रॉन कपड़े के पैबंदके जरिए दोबारा सामान्य अवस्था व आकार में पुनः वापस लाया गया। यह ऑपरेशन मानो एक तरह से हृदय की मरम्मत कर नए हृदय के निर्माण करने जैसा ही था।सफल ऑपरेशन के बाद मरीज को तीव्र स्वास्थ्य लाभ हुआ व उन्हें 17 फरवरी 2023 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
ऑपरेशन के उपरान्त की गई ईकोकार्डियोग्राफी जांच ने दर्शाया कि मरीज के दिल की पम्पिंग क्षमता जो घट कर मात्र 23 प्रतिशत रह गई थी उस में काफी सुधार आया है। मरीज लगातार डॉं0 अशोक कुमार जयंत को ओ0पी0डी0 में दिखा रहा है व सामान्य जीवन जी रहा है। मरीज व उसके परिजन जो मरीज के बचने की उम्मीद खो चुके थे अब मरीज को स्वस्थ व सामान्य जीवन जीता देख बहुत खुशी राहत की सांस ले रहे हैं व कह रहे हैं कि डॉं0 अशोक कुमार जयंत ने ‘‘डॉक्टर धरती का भगवान‘‘ कहावत को चरितार्थ किया है। डॉं0 अशोक कुमार जयंत की इस अभूतपूर्व उपलब्धि पर श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में उत्साह का माहौल है।
‘‘मैंने अपने लगभग 40 वर्षो के लम्बे कार्डियों थोरेसिक वैस्क्युलर सर्जरी के अनुभव में अबतक का सबसे बड़ा आकार में इतना अधिक फूला हुआ बायाँ वैन्ट्रीक्युलर जिसमें काफी खून का थक्का जम चुका था को ऑपरेट किया। समय से दिल की सर्जरी न होने पर मरीज की जान भी जा सकती थी या दिल में जमा हुए खून का टुकड़ा दिमाग या अन्य अंगो में टूट कर जा सकता था जिस से लकवा या अन्य आघात भी हो सकता था। मरीज ने ऑपरेशन से पहले काफी कष्ट झेला, व उपचार हेतु एक से दूसरे अस्पताल दौड़ता रहा, परन्तु कहीं उचित उपचार नहीं मिल पाया। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में आकर ही मरीज भोपाल सिंह की सफल सर्जरी हुई, जिससे न केवल उसकी जान बची बल्कि वह एक सामान्य स्वस्थ जीवन जी रहा है।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में अत्याधुनिक उपकरणों व सुविधाओं से सुसर्जित कार्डियक सर्जरी ऑपरेशन थियेटर, आईसीयूव कैथ लैब है। यहॉं अनुभवी वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट व कार्डिक सर्जनों की टीम की देखरेख में हृदय रोगों की समस्त जॉंचों, उपचार व सर्जरी की विश्व-स्तरीय सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
मरीज भोपाल सिंह के सफल उपचार में सी0टी0वी0एस0 टीमके अलावा कार्डियोलॉजिविभाग के वरिष्ठ डॉं0 साहिल महाजन, डी0एम0 (कार्डियो) का भी उल्लेखनीय योगदान रहा।‘‘
डॉं0 अशोक कुमार जयंत,
एम0सीएच0 (सी0टी0वी0 सर्जरी)
वरिष्ठतम कार्डियो थोरेसिक वैस्क्युलर सर्जन,
अंतरराष्ट्रीय आविष्कारक,
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल