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देहरादून स्टाम्प घोटाले में जवाब ना देने पर एसडीएम सदर को सशपथ ब्यान हेतु नोटिस जारी

देहरादून के क्षेत्र बड़ासी ग्राम में 4.4360 भूमी 5 विक्रय पत्रों के जरिए भूमी की दूरी गलत तरीके से मुख्य मार्ग 180 मीटर से ज्यादा 350 मीटर दर्शाकर ख़रीद फरोख्त कर सरकार को 25 लाख की हानि पहुंचाई जोकि अर्थदंड मिलाकर एक करोड़ है,साथ ही इस भूमी के पूर्व मालिक ने बाहरी व्यक्ति होने के कारण यह भूमी शासन की अनुमति से रिजॉर्ट बनाने एवम् बागवानी हेतु खरीदी थी परंतु उसने गुपचुप तरीके से अवैध रूप से यह भूमी विक्रय कर दी।

इस संवाददाता द्वारा जनहित, राज्यहित में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि जिला देहरादून के बड़ासी ग्रांट में लोगों ने चार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन मुख्य मार्ग से अधिक दूरी दर्शाकर बेच दी और निधारित स्टांप से कम मूल्य का शुल्क प्रशासन को दिया गया, शिकायत पर प्रशासन ने इसकी जांच कराई। सत्यता पाए जाने पर अब आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई को तैयारी शुरू हो गई है। इनसे अब नियमानुसार शुल्क वसूलकर अर्थदंड भी लगाया जाएगा।

पिछले दिनों एडीएम वित्त एवं राजस्व रामजोशरण शर्मा को इस संबंध में शिकायत मिली थी। आरोप था कि बड़ासी ग्रांट में 4.4360 हेक्टेयर भूमि को बेचने के दौरान स्टांप शुल्क जमा कराने में अनियमितता बरती गई है। साथ ही वर्ष 2013 में बड़ासी ग्रांट में बेची गई थी जमीन मुख्य मार्ग से 180 मीटर दूर थी लेकिन दर्शाई गई 350 मीटर।

वर्ष 2013 में इस सौदे में भू-अधिनियम के नियमों का भी उल्लंघन किया गया है क्योंकि केरल के थंपी सीसी ने इस जमीन को पांच अलग अलग विक्रय पत्र के जरिए यह जमीन गिरवीर सिंह नेगी और खुशहाल सिंह नेगी को बेची थी जबकि यह जमीन रिजॉर्ट-बागवानी के लिए खरीदी गई थी।

जमीन के पूर्व मालिक थंपी सीसी ने बड़ासी ग्रांट की यह जमीन शासन को अनुमति से खरीदी थी। जब यह जमीन खरीदी गई तब बाहरी व्यक्ति उत्तराखंड में कृषि भूमि केवल 250 वर्गमीटर ही खरीद सकता था। इसके लिए शासन से भू- अधिनियम 2003 के तहत अनुमति लेकर लगभग 55 बीघा जमीन खरीदी गई थी। यहां उन्हें होटल, रिजॉर्ट बनाने के साथ बागवानी करनी थी। लेकिन, जमीन पर कोई निर्माण इस तरह का नहीं किया गया। न ही कोई पेड़ लगाया गया लेकिन गुपचुप तरीके से यह जमीन बेच दी गई।

मुख्य मार्ग से इस जमीन की दूरी 350 मीटर दर्शाई गई। इससे सर्किल रेट कम होने से स्टांप शुल्क भी कम ही अदा किया गया। जबकि एडीएम द्वारा की गई जांच में पाया गया था कि यह जमीन मुख्य मार्ग से 180 मीटर दूरी तक ही सीमित है। जांच में जब स्टांप शुल्क का आकलन किया गया तो यह निर्धारित से 25 लाख रुपये कम के स्टांप थे। इसकी राशि अब अर्थदंड के साथ बढ़कर एक करोड़ के आसपास हो सकती है। 

इस सौदे में कुछ राजस्व कर्मचारियों की लापरवाही और अनदेखी की बात भी हो रही है। इस जमीन को श्रेणी ग में दर्ज किया जाना था। जबकि इसे श्रेणी क में दर्ज कर दिया गया। इससे इस जमीन की निगरानी नहीं हो सकी। 

अत: निवेदन हैं कि यह एक बहुत ही गंभीर मामला है क्योंकि लाखों रू की स्टाम्प की चोरी की गई है तथा यह भूमी केरल निवासी व्यक्ति द्वारा अवैध रूप से गुपचुप विक्रय कर दी गई तथा यह कार्य बिना सरकारी कर्मियों की मिलीभगत के नही हो सकता था जनहित राज्यहित में रिपोर्ट मंगवाने की कृपा करें क्योंकि इस मामले में कही लीपापोती ना कर दी जाए तत्काल कड़ी कार्यवाही करने की कृपा करें।

पूर्व आदेश –

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जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मानवाधिकार आयोग के सदस्य पूर्व आईपीएस राम सिंह मीना द्धारा दिनांक: 20.12.2023 को आदेश जारी किए गए कि:-शिकायतकर्ता भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी, निवासी-एच-255 नेहरू कालोनी, देहरादून ने देहरादून के बड़ासी ग्रांट में 4.4360 भूमी 5 विक्रय पत्रों के जरिए भूमी को गलत तरीके से मुख्य मार्ग से 180 मीटर से ज्यादा 350 मीटर दर्शाकर खरीद फरोख्त कर सरकार को 25 लाख की हानि पहुंचाने, जो कि अर्थदंड मिलाकर 1 करोड़ होने, भूमि के पूर्व मालिक द्वारा बाहरी व्यक्ति होने के कारण भूमी शासन की अनुमति से रिजॉर्ट बनाने एवं बागवानी हेतु खरीदने, परन्तु अवैध रूप से भूमी विकय कर देने तथा प्रकरण में तत्काल कड़ी कार्यवाही कराये जाने के संबंध में शिकायती पत्र प्रेषित किया है।

शिकायती पत्र की प्रति उप जिलाधिकारी, सदर, देहरादून को भेज दी जाये कि वह इस संबंध में अपनी आख्या आगामी दिनांक तक आयोग में प्रस्तुत करेंगे।

शिकायतकर्ता-भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी

समक्षः राम सिंह मीना (सदस्य)

दिनांकः 02.05.2024

आदेश

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उप जिलाधिकारी, सदर, देहरादून द्वारा आख्या प्रस्तुत नहीं की गई है। पुनः नोटिस जारी हो कि वह आगामी दिनांक को अवश्य ही इस सम्बन्ध में अपनी आख्या आयोग के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। आख्या न प्रस्तुत करने की स्थिति में वह आगामी दिनांक को किसी वरिष्ठ भिज्ञ अधिकारी को समस्त दस्तावेजों सहित आयोग में उपस्थित होने हेतु निर्देशित करेंगे जिससे कि उनका सशपथ बयान अंकित हो सकें।

विदित हो कि आयोग के उपरोक्त आदेश की अपेक्षानुरूप कार्यवाही न किये जाने की स्थिति में आयोग द्वारा विचारोपरान्त यथोचित आदेश पारित कर दिये जायेंगे।

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