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केन्द्रशासित प्रदेश बनाये जाने की मांग को लेकर घेरी तहसील

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने उत्तराखण्ड प्रदेश को केन्द्रशासित प्रदेश बनाये जाने की मांग को लेकर मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में तहसील घेराव कर प्रधानमन्त्री को सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम विकासनगर कौस्तुभ मिश्र को सौंपा।
नेगी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य गठन के 19 वर्षों के कार्यकाल में वर्तमान व पूर्ववर्ती सरकारों ने राज्य गठन की अवधारणा को तार-तार करने का काम किया है। राज्य गठन का उद्देश्य प्रदेश में सिर्फ और सिर्फ शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, सुशासन, पलायन, सुलभ न्याय आदि तमाम मुद्दों को लेकर हुआ था, लेकिन जनता को न्याय मिलना तो दूर सिर्फ ठोकर ही मिली।
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि प्रदेश की जनता को छोटे-मोटे न्याय पाने के लिए दर-दर की ठोकरे खानी पड़ती हैं, तथा अन्ततः उसको माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खट-खटाना पड़ता है, जिसका नतीजा यह हुआ कि वर्तमान त्रिवेन्द्र सरकार के कार्यकाल में 19,614 याचिकायें (एम0एस0/एस0एस0/एस0बी0/पी0आई0एल0) योजित की गई तथा पूर्ववर्ती सरकारों के समय भी हजारों की तादाद में याचिकायें योजित की गयी।
नेगी ने कहा कि प्रदेश हजारों करोड़ के कर्ज में डूब गया है तथा लगभग ढाई-तीन हजार करोड़ रूपया प्रतिवर्ष कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च हो रहे हैं।
राज्य गठन की सारी अवधारणा चूर-चूर होकर रह गई है तथा प्रदेश में माफियाओं, लुटेरों, बलात्कारियों, जालसाओं का राज स्थापित हो गया है। स्वास्थ्य-शिक्षा के क्षेत्र में इतनी गिरावट आई है कि हजारों स्कूल/अस्पताल बंद हो गए तथा सरकारी अस्पताल भी भगवान भरोसे चल रहे हैं। प्रदेश में युवाओं को रोजगार मिलना एक दिव्य स्वप्न हो गया है तथा सुविधाओं के अभाव में बहुत तेजी से पलायन हो रहा है। आलम यह है कि प्रदेश में माफियाराज स्थापित होने के कारण रेत-बजरी 20-25 हजार प्रति ट्रक बिक रहे हैं।
मोर्चा ने प्रधानमन्त्री से उत्तराखण्डवासियों की भावनाओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर प्रदेश को केन्द्र के हवाले (केन्द्रशासित प्रदेश) करने की दिशा में कार्यवाही करने की मांग की।