भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो रेट में 0.50% की कटौती की है जिससे होम लोन और ऑटो लोन सस्ते होने की उम्मीद है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि इस कटौती से बैंकों को 2.50 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि मिलेगी जिससे कर्ज वितरण में मदद मिलेगी। उम्मीद है इससे रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल की मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
अगले कुछ दिनों के भीतर देश में होम लोन और आटो लोन की दरों में कमी होने की जमीन तैयार हो गई है। मौद्रिक नीति की समीक्षा (एमपीसी) (RBI Monetary Policy) बैठक में बैंकिंग लोन की दरों को तय करने वाले रेपो रेट की दर में एकमुश्त 50 आधार अंकों यानी 0.50 फीसद की कटौती की गई है।
तीन दिनों तक चली एमपीसी की बैठक के फैसलों की घोषणा आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की। मल्होत्रा की अध्यक्षता में तीन बार एमपीसी की बैठक हुई है और इन तीनों बैठकों में रेपो रेट (RBI Repo Rate Cut) को घटाने का फैसला किया गया है।
फरवरी, 2025 और अप्रैल 2025 की बैठक में भी रेपो रेट को 25-25 आधार अंकों की कटौती की गई है। इस तरह से रेपो रेट पिछले छह महीनों के भीतर एक फीसद घट कर 5.50 फीसद के स्तर पर आ गई है। आरबीआई गवर्नर ने उम्मीद जताई है कि रेपो रेट में कमी करने के फैसले का फायदा बैंक आम जनता को देंगे।
माना जा रहा है कि एकमुश्त 50 आधार अंकों की कटौती के बाद होम लोन, आटो लोन, पर्सनल लोन व दुसरे बैंकिंग कर्ज की दरों में तेजी से कटौती होगी। फरवरी और अप्रैल में आरबीआई ने कुल मिला कर रेपो रेट में 0.50 फीसद की कटौती की लेकिन आंकड़ें बताते हैं कि बैंकों के कर्ज की दरों में औसतन सिर्फ 0.17 फीसद की कटौती हुई है। साफ है कि बैंकों ने पूरा फायदा आम ग्राहकों को नहीं दिया है। लेकिन शुक्रवार की कटौती के बाद वह आम जनता को ज्यादा कर्ज की कटौती का फायदा दे सकते हैं।
यह देश में रीयल स्टेट और आटोमोबाइल की मांग बढ़ाएगा। इसका सकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर होगी। रेपो रेट वह दर होता है जिस पर आरबीआई से वाणिज्यक बैंक अल्पकालिक अवधि के लिए फंड उधार पर लेते हैं। मोटे तौर पर इसका इस्तेमाल तरह तरह के बैंकिंग कर्ज की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है। यहीं वजह है कि जब आरबीआइ रेपो रेट घटाता है तो बैंकों से कर्ज लेना भी सस्ता होता है और जब यह बढ़ाया जाता है तो कर्ज महंगा हो जाता है।
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा है कि रेपो रेट में 0.50 फीसद की कटौती से बैंकिंग सिस्टम में 2.50 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध होगी जिसका इस्तेमाल बैंक कर्ज वितरण में करेंगे। जानकारों का कहना है कि रेपो रेट में एकमुश्त 50 आधार अंकों की कटौती आरबीआई के इस रुख को बताता है कि सरकार की तरफ से तेज आर्थिक विकास दर की रफ्तार बढ़ाने के साथ है।
एक तरफ अमेरिका की तरफ से वैश्विक ट्रेड वार की शुरुआत किये जाने के बाद वैश्विक स्तर पर विकास दर के घटने की संभावना है वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था की सालाना विकास दर 6.5 फीसद पर बने रहने की संभावना है। समीक्षा बैठक के फैसलों की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर ने वर्ष 2025-26 में आर्थिक विकास दर के 6.5 फीसद रहने की बात कही है। इस हिसाब से भारत दुनिया की प्रमुख इकोनमी में सबसे तेज गति से वृद्धि करने वाला लगातार तीसरे वर्ष बना रहेगा। गवर्नर मल्होत्रा ने यह भी कहा है कि इस साल महंगाई की चुभन भी कम होगी।