देहरादून के धोरणखास क्षैत्र में रजिस्ट्रार कार्यालय की एक बड़ी मिलीभगत से गोल्डन फारेस्ट की जमीन को खुर्द बुर्द कर दिया गया।
वर्ष 2022 के दौरान गोल्डन फारेस्ट की भूमि के फर्जी बैनामे किए जाने का प्रकरण सामने आने के बाद अपर जिलाधिकारी प्रशासन डा. शिव कुमार बरनवाल ने जिला निबंधक को जांच के निर्देश दिए थे। इसके वाबजूद निबंधक कार्यालय ने वर्ष 2023 में गोल्डन फारेस्ट की जमीन की करीब 10 रजिस्ट्री कर दी। एक शिकायतकर्ता की ओर से प्रकरण की जांच कर रहे अधिकारी सीओ रायपुर अभिनव चौधरी को सौंपे दस्तावेजों के बाद इस मामले का पर्दाफाश हुआ है। सीओ ने बताया कि अभी दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं। इसके बाद ही अगली कार्रवाई की जाएगी।
रजिस्ट्रार कार्यालय ने जो किया सो किया मसूरी देहरादून डेवलपमेंट अथारिटी (एमडीडीए) ने भी गोल्डन फारेस्ट कंपनी की भूमि पर नक्शे पास कर दिए, ऐसे में एमडीडीए की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
इस संवाददाता द्वारा जनहित राज्यहित में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि भूमाफिया ने गोल्डन फारेस्ट की फर्द से नाम हटाकर अपना नाम दर्शाया और रजिस्ट्रार आफिस में अलग- अलग व्यक्ति खड़े कर फर्जी तरीके से 22 बीघा जमीन की रजिस्ट्रियां करवा 40 करोड़ में की विक्रय कर दी और रजिस्ट्रार कार्यालय ने रोक के बावजूद कर दी साथ ही एमडीडीए ने भी नक्शे पास कर दिए इसलिए एमडीडीए और रजिस्ट्रार कार्यालय दोनों की स्थिति संदिग्ध है, इसलिए जनहित राज्यहित में उच्च स्तरीय जॉच के आदेश कर रिपोर्ट तलब कर कार्यवाही करने की कृपा करें।
जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश गिरधर सिंह धर्मशक्तू (सदस्य) मानवाधिकार आयोग द्वारा दिनांक: 01.02.2024 को आदेश पारित किए गए कि:-
आदेश-
शिकायतकर्ता द्वारा समाचार पत्र में छपे समाचार “रजिस्ट्रार कार्यालय ने रोक के बावजूद कर दीं रजिस्ट्रियां” के संबंध में शिकायती प्रार्थना पत्र प्रेषित किया गया है।
शिकायती प्रार्थना पत्र की प्रति जिलाधिकारी, देहरादून को प्रेषित कर दी जाए कि वह नियत तिथि तक इस संबंध में अपनी आख्या आयोग के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।