भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी
छात्रा सृष्टि की जनहित याचिका पर मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड ने बाल श्रम से छुड़ाए गए बालक बालिकाओं के पुनर्वास और आजीविका को लेकर जिलाधिकारी देहरादून को नोटिस जारी कर पिछले 3 साल में छुड़ाए गए बाल श्रमिकों और उनके पुनर्वास का पूरा ब्यौरा तलब किया है।
छात्रा सृष्टि ने मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि देहरादून के बाजारों आदि में बाल श्रम कराने पर दुकानदारों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही तथा बालकों को दुकानों से मुक्त कराने संबंधी कार्यवाही की सूचना/ख़बर मीडिया के माध्यम से पता लगती रहती हैं, परन्तु मुक्त करवाये गए बालकों के उद्धार,पुनर्वास उनके खाने उनकी समस्या उनकी मदद तथा उनके उद्धार से संबंधी कोई जानकारी अखबारों/मीडिया आदि में प्रकाशित नहीं होती,यह बहुत ही ज्वलन्त एवं गम्भीर समस्या हैं।
जिन बालकों को मुक्त कराया जाता है उनके बारे में क्या यह पता किया जाता है कि उसका घर परिवार कैसे चल रहा है और उस को मुक्त कराने के बाद उसके खाने रहने आदि की व्यवस्था क्योंकि कई बेघर बालक भी तो दुकानों,संस्थानों आदि में काम करते होंगे तथा कई बालकों में से किसी के पिता नहीं होंगे घर में कोई बहुत बड़ी समस्या होगी शायद वह इसीलिए दुकानों में कार्य करने पर मजबूर हो, इसलिये यह एक बहुत ही गंभीर समस्या है इसलिए कम से कम पिछले 3 वर्षों में कितने बालकों को बाल श्रम करने से मुक्त कराया गया तथा उन बालकों के उद्धार उनके खाने,से समस्याओं आदि के संबंध में संबंधित विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की गई तथा मुक्त करवाये गए बालक किस मजबूरी के कारण बाल श्रम करने पर मजबूर था के संबंध में समस्त जानकारी संबंधित विभाग से मंगवा कर मुक्त करवाए गए बालकों के संबंध में जल्दी से जल्दी कार्यवाही की जाने की कृपा की जाये।
जिलाधिकारी देहरादून डॉ. आर. राजेश कुमार द्वारा आयोग के नोटिस बाद तत्काल ही इस अत्यन्त जनहित के प्रकरण में बैठक आयोजित की गयी।बैठक में टास्क फोर्स ने जिलाधिकारी को बताया कि बाल श्रम के मामले में पिछले कुछ दिनों में छह प्रतिष्ठानों पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। साथ ही पुलिस भी अपने स्तर पर कार्रवाई कर रही है। जिलाधिकारी ने इन प्रकरण में पुलिस को कार्रवाई में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
जिलाधिकारी डॉ. आर. राजेश कुमार ने व्यापक जनहित में बाल श्रम करने से छुड़ाए गए बच्चों की शिक्षा को लेकर दिए गए निर्देशों का अपडेट भी मांगा तो खुलासा हुआ कि अब तक इस दिशा में ठोस कार्य नहीं किया गया है। और शिक्षा विभाग के अधिकारी बैठक में भी उपस्थित नहीं दिखे। जिस पर जिलाधिकारी ने जिला शिक्षाधिकारी बेसिक से जवाब तलब किया है। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह निरंतर विभिन्न रेस्तरां, ढांबों व अन्य प्रतिष्ठानों में छापेमारी कर बाल श्रम रोकने का प्रयास करें।
जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार ने टास्क फोर्स के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की एसओपी (मानक प्रचालन प्रक्रिया) का अध्ययन करें और उसके आधार पर अपनी एसओपी तैयार कर प्रस्तुत करें, ताकि बाल श्रम करते छुड़ाए गए बच्चों का बेहतर पुनर्वास हो सके। साथ ही उन्होंने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पर्याप्त बजट के प्रविधान पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि टास्क फोर्स प्रस्ताव तैयार करे और फिर उसे शासन को भेजा जाएगा। इसके साथ ही विभिन्न गैर सरकारी संगठनों से भी सहयोग लेने की बात कही गई।
बैठक में सहायक मुख्य चिकित्साधिकारी डा. निधि रावत, पुलिस क्षेत्राधिकारी नेहरू कालोनी अनिल जोशी, सहायक समाज कल्याण अधिकारी पिंकी टम्टा, राज्य समन्वयक बचपन बचाओ आंदोलन सुरेश उनियाल आदि उपस्थित रहे।