नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज धारावी पुर्नविकास परियोजना के लिए चल रहे निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। वहीं, कोर्ट ने अदाणी ग्रुप के पक्ष में बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले को पलटने से भी इनकार कर दिया। CJI संजीव खन्ना की बेंच ने काम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई की, जिसमें सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया गया था।
यूएई स्थित सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन (UAE-based Seclink Technologies Corporation) की अपील पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि परियोजना पर काम पहले ही शुरू हो चुका है, जिसमें कुछ रेलवे क्वार्टरों को ध्वस्त करना भी शामिल है।
सेकलिंक ने महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें सेकलिंक की पिछली बोली को रद्द करने के बाद धारावी परियोजना को अडानी प्रॉपर्टीज लिमिटेड को देने का फैसला किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि परियोजना से संबंधित सभी भुगतान एक ही एस्क्रो खाते से किए जाएं। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ का नेतृत्व करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की कि बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला उचित है क्योंकि रेलवे लाइन को भी विकसित किया जाएगा और परियोजना में शामिल किया जाएगा।
बता दें कि बेंच ने कहा कि अदाणी ग्रुप सारे भुगतान एक ही एस्क्रो अकाउंट से करेगा। CJI खन्ना ने मौखिक तौर पर कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले से सहमत हैं, ऐसा इसलिए भी क्योंकि यह महसूस किया गया था कि यहां रेलवे लाइन भी विकसित की जाएगी और अनुबंध में शामिल की जाएगी।
इस दौरान अदाणी ग्रुप की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि काम पहले ही शुरू हो चुका है, करोड़ों की मशीनें व सामान पहले ही लगाई जा चुकी है। लगभग 2000 लोग कार्यरत हैं और इस तरह के कदम से अपूर्णीय, अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है।