कपिल शर्मा कहते हैं कि होली का मुख्य आयोजन रंगभरनी एकादशी के दिन जन्मस्थान और काशी विश्वनाथ पर होता है। यह प्रसादी करोड़ों सनातनियों के लिए एक संदेश है।सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि से काशी विश्वनाथ धाम की इस गुलाल यात्रा में भक्त, ब्रजवासी सम्मिलित होकर इस ऐतिहासिक पुनीत अवसर के साक्षी बनकर अक्षुण्य पुण्य प्राप्त करें।
उधर, श्रीकृष्ण जनमस्थान पर भी बाबा काशी विश्वनाथ से प्रसादी आएगी। आठ मार्च को ही सुबह 11 बजे बाबा काशी विश्वनाथ से कान्हा के लिए भस्म, वस्त्र, मिष्ठान और चाकलेट भेजी जा रही है। काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के सीईओ विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि प्रसादी भेजे जाने की तैयारी पूरी कर ली गई हैं।
भजनों की गूंज के साथ श्रद्धालु बढ़े बरसाना की ओर
ब्रज की पावन धरा पर होली की उमंग चरम पर है। श्रद्धालु बरसाना जाने वाली बसों में भजनों की गूंज के साथ भक्ति में डूबे नजर आ रहे हैं। महिला-पुरुष श्रद्धालु भजन गाते हुए बरसाना की ओर बढ़ रहे हैं। जिससे माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया है। बसों में सवार श्रद्धालु राधे-राधे और श्याम प्यारे की होली जैसे भजन गाते हुए उत्साह और आस्था से सराबोर दिख रहे हैं।
भक्तिरस से भीगा यह नजारा बरसाना की होली की दिव्यता को और बढ़ा रहा है। ब्रज में हर तरफ रंग, गुलाल और भक्ति का संगम देखने को मिल रहा है। बरसाना की लट्ठमार होली में शामिल होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु उमड़ रहे हैं।
बसों के अलावा ट्रैक्टर-ट्रालियों, कारों और अन्य वाहनों से भी भक्तों का सैलाब बरसाना की ओर बढ़ रहा है। सड़कें राधे-राधे के जयकारों से गूंज रही हैं, जिससे पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया है।