लखनऊ : विपक्षी दलों में सेंध लगाकर भाजपा अपने विरोधियों पर मनौवैज्ञानिक दबाव बनाने के साथ ही पिछले लोकसभा में हारी 14 सीटों पर जातीय समीकरणों को मजबूत कर पासा पलटने की मुहिम में जुटी है।
विपक्षी दलों के नेताओं की नई खेप की आमद से भाजपा ने पूर्वांचल के साथ ही पश्चिमी उप्र में सहारनपुर और मुरादाबाद मंडलों की लोकसभा सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 80 में से 62 और उसके सहयोगी अपना दल (एस) ने मीरजापुर और राबर्ट्सगंज की दो लोकसभा सीटें जीती थीं।
बाकी 16 सीटें बसपा, सपा और कांग्रेस के खाते में गई थीं। उपचुनाव में भाजपा ने आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटें सपा से छीन ली थीं। 14 सीटें अब भी पार्टी के कब्जे से बाहर हैं, जिनमें बिजनौर, नगीना, सहारनपुर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, मैनपुरी, रायबरेली, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, गाजीपुर, घोसी, जौनपुर और लालगंज शामिल हैं।
रेड जोन में हैं रामपुर और आजमगढ़ सीट
उपचुनाव में रामपुर और आजमगढ़ सीटों को जीतने के बावजूद भाजपा ने जोखिम के लिहाज से इन्हें भी रेड जोन में रखा है। सहारनपुर और मुरादाबाद मंडलों में सैनी बिरादरी की बड़ी संख्या है। भाजपा की सर्वाधिक हारी हुईं सीटें मुरादाबाद मंडल में हैं।
सहारनपुर से ताल्लुक रखने वाले पूर्व मंत्री साहब सिंह सैनी और मुजफ्फरनगर निवासी पूर्व सांसद व रालोद नेता राजपाल सैनी के भाजपा में शामिल होने से दोनों मंडलों में सैनी बिरादरी पर पार्टी की पकड़ मजबूत होगी।
दारा सिंह चौहान और ओम प्रकाश राजभर के बाद अब जौनपुर से ताल्लुक रखने वाले पूर्व मंत्री जगदीश सोनकर, राजनीतिक परिवार से नाता रखने वाली पूर्व विधायक सुषमा पटेल और सपा के पूर्व विधायक गुलाब सोनकर को अपने साथ जोड़कर भाजपा ने पूर्वांचल की जौनपुर सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने के साथ आसपास के क्षेत्र में भी दलित समुदाय और कुर्मी बिरादरी को बड़ा संदेश दिया है।
लालगंज लोकसभा सीट पर साधा समीकरण
सुषमा पटेल के श्वसुर दूधनाथ पटेल और सास सावित्री पटेल भी जौनपुर की मड़ियाहूं सीट से विधायक रह चुके हैं। दलित और कुर्मी बिरादरी के इन नेताओं के भाजपा में शामिल होने से आजमगढ़ जिले की लालगंज लोकसभा सीट पर भी पार्टी की स्थिति सुदृढ़ होगी।
वहीं राज्य सभा के उप सभापति रहे श्यामलाल यादव की पुत्री शालिनी यादव को पार्टी में शामिल कर भाजपा ने पूर्वांचल में यादव बिरादरी पर भी पकड़ बनाने की कोशिश की है। शालिनी महापौर के चुनाव में वाराणसी से कांग्रेस प्रत्याशी थीं, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में वह वाराणसी सीट से बतौर सपा प्रत्याशी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुकाबिल हुई थीं।
शालिनी समेत यादव बिरादरी के कुछ और चेहरों को अपने मंच पर लाकर भाजपा यह साबित करने में सफल हुई है कि उसके प्रति समुदाय की झिझक और पूर्वाग्रह में कमी आई है।