प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच स्वामित्व को लेकर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिकाएं खारिज कर दी है।
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व को लेकर वर्ष 1991 में वाराणसी में दायर मुकदमे को चुनौती देने वाली याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ बहुप्रतीक्षित प्रकरण में सुनावाई की गई।
वाराणसी अदालत के समक्ष दायर मुकदमे में तर्क दिया गया है कि मस्जिद, मंदिर का हिस्सा है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वाराणसी की अदालत में लंबित वाद के विरुद्ध हाई कोर्ट में अपील दायर की है, यह कहते हुए कि विवादित स्थल पूजास्थल अधिनियम से निषिद्ध है।
हाई कोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने फैसले को बताया ऐतिहासिक
ज्ञानवापी प्रकरण में इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा, “यह फैसला ऐतिहासिक फैसला है क्योंकि सभी पक्षों को यह कहा गया है कि मामले को 6 महीने में निस्तारित किया जाए और याचिकाओं को खारिज किया है… अगर एक पक्ष पीड़ित है तो उसके लिए ऊपर की अदालत खुली है।”
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने की प्रकरण की सुनवाई
इस प्रकरण में हाई कोर्ट में लंबी सुनवाई हुई है। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने भी इस पूरे वाकया को सुना था। वह अपना फैसला सुनाते, इससे पहले ही तत्कालीन मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए प्रकरण सुनवाई के लिए अपने पास ले लिया था। नवंबर में उनके सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने इस मामले में सुनवाई की है।