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देहरादून रजिस्ट्री फर्जीवाड़े मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कमल विरमानी की जमानत ख़ारिज

देहरादून रजिस्ट्री फर्जीवाड़े मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कमल विरमानी की जमानत याचिका ख़ारिज

अधिवक्ता कमल विरमानी की जमानत याचिका पर 23 सितंबर को सुनवाई की गई थी। बचाव व अभियोजन पक्ष की करीब ढाई घंटे की बहस सुनने के बाद जिला जज प्रदीप पंत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

जमानत याचिका पर बचाव पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत लूथरा और अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता गुरु प्रसाद रतूड़ी द्वारा बहस की गई। बहस सुनने के बाद जिला जज प्रदीप पंत द्वारा ज़मानत खारिज कर दी गई।

जिला जज प्रदीप पंत द्वारा अपने आदेश में कहा गया यह इस प्रकृति का अपराध है कि जिससे लोगों की न्याय व्यवस्था पर से ही आस्था हट जाती है, क्योंकि वर्तमान अपराध के अंतर्गत जो कूटरचित दस्तावेज बनाये गये हैं, उनकी प्रमाणित प्रतिलिपियों को न्यायालय भी भारतीय साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत 30 वर्ष प्राचीन होने के आधार पर सामान्य रूप से साबित करने की अपेक्षा नहीं रखता है। इन परिस्थितियों में इस प्रकृति के अपराध से न्याय प्रशासन की नींव पर प्रहार होता है और अभियुक्त का उसी न्याय प्रशासन का एक हिस्सा होने के कारण से ऐसे अपराध में संलिप्त होना और भी गंम्भीर हो जाता है। इन परिस्थितियों में अभियुक्त द्वारा दिया गया जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।

आदेश

आवेदक / अभियुक्त कमल विरमानी द्वारा थाना कोतवाली, जिला देहरादून के मुकदमा अपराध संख्या 107 वर्ष 2023 अंतर्गत धारा 420, 467, 468, 471 एव 120बी भारतीय दण्ड संहिता में प्रस्तुत जमानत पत्र संख्या 1503 वर्ष 2023 निरस्त किया जाता है।

आदेश की प्रति अभियोजन की आख्या के साथ अभियुक्त के अधिवक्ता को निशुल्क प्रदान की जाय तथा उसकी एक प्रति जेल अधीक्षक, जिला कारागार, देहरादून को अभियुक्त को प्रदान किये जाने हेतु दी जाय।